गुरुवार, 27 मार्च 2008

चलो थोडा बच्चा बन ले।

छ्बी बडो को नमछ्काल।
मेला नाम गलिमा ऐ औल मै तीन छाल की छोटी बच्ची ऊँ।
मुजको ना अछ्क्लीम बोत पछंद ऐ...तो मैने छोचा कि मै ऐछा का कलूँ कि ढेल छाली अछ्क्लीम एक छाथ मिल जाये... तो उछे मै लोज लोज का छकूँ।
तो मेने बली गलिमा को बोला कि अपने दोछ्तो छे मेले लिये अछ्क्लीम माँद ले... लेकिन छबछे एक एक कलके अछ्क्लीम मांदना बली मुछ्किल ता ताम ऐ, तो मेने छोचा कि छबको एक छाथ कबल कल देते हैं।
इछईये मे पोछ्ट ईख अई ऊँ।
मेले को छबी लोग एक एक अछ्क्लीम बेज देना, उछ्को मे लोज लोज खाऊँदी... औल मे अच्छे बच्चे की तलह पल्हाई बी कलूँगी... औल मे तबी तबी थोली छी छलालत बी कल लूँदी... औल मे ज्यादा बमाछी नई कलूँदी.. बछ थोली छी कल लूँगी।
थोली छी बमाछी तो कल छ्कते ऐ ना... कूँ कि छोटी ऊँ, तो मुजे इत्ती छुत तो मित्ती ऐ ना... वैछे बी बच्चे बलो कि तलह थोली ना बमाछी कलते ऐं... ना ही वो बलो कि तलह लते ऐं... वो तो बछ थोले से छमय मे खुछ ओ जाते ऐं।
मै बी ऐछी ई ऊँ.. कबी थोला छा गुछ्छा कलके फ़िल ताली बदा के किलकारी दे के अछने अगती हूँ... औल मै जदी छे छाला गुछ्छा भू के छबके छाथ खेने भी अगती हूं।
पल ऊ का है कि.. कुछ ओगो को अम बच्चो कि बाते छमझ मे ही नही आता... उन्को अगता ऐ कि.. अमे जदी से बआ ओ जाना चाईये.. ताकि हम बी बओ कि तलह.. जुठ, छच.. छ्ल कपत को छमज छके... अमाले बचपन को कतम कलके.. लोग अमे बला बनाना चाते ऐ.. आप कुद ई चोचो.. अम बच्चे नई रहेंगे तो.. आपको अपन बच्पन किधल मिएगा.. ओ खुछी अछ्क्लीम काते ऊए मित्ती ऐ.. वो किधल दिकेगी... जो कुछी प्याल कके मित्ती ऐ.. वो बी नई मियेगी... इछिये आप भी बलप्पन छोल के आओ थोले देल के लिये... औल च के अक्लीम काते ऐं। औल.... औल.. मे बाद मे बताऊँदी नई तो मेली अछ्क्लीम पिदल जायेदी।