गुरुवार, 7 जनवरी 2010

जानते हो?

मेरे सेन्टर पर आने वाली लगभग हरेक महिला अपने पति से यह कहना चाहती है... बस उन्ही के कुछ भावो को शब्द देने की कोशिश की है...

जानते हो
एक दबी हुई इच्छा है कि
मै ऑफिस से आऊँ
और तुम घर पर रहना
आकर तुम्हे कहूँ
जान, आज काम ज्यादा था
इतना थक गयी की
कि पुछो मत
तुम्हारा ही काम अच्छा है
घर मे रहते हो
सारा दिन सोये रहते हो....

जानते हो
जी चाहता है कि
मै भी मचल के कहूँ
जान, तुम ऐसे क्यों रहते हो
हमारा भारतीय परिधान
धोती कुर्ता
कितना अच्छा लगता है
क्यो तुम हर दिन अंग्रेज
बन इठलाते हो

जानते हो
कुंडली मारकर
एक इच्छा दबी बैठी है
कि एक दिन शान से कहूँ
जानते हो दाल चावल का भाव
इतने महंगे सामान
मेरी जेब से आते हैं
तुम्हारे घरवाले थोड़ी ना लाते हो

जान... जानते हो...