गुरुवार, 2 दिसंबर 2010

तुम बिन

मेरी मुहब्बत इबादत से कम नही है।
तुम्हारे बिना ये जीवन सनम नही है।
तुम ही मेरे ईश्वर मेरे खुदा हो
सच कहूँ तो तुम नही तो मै भी नही हूँ।
मेरी शबो-रात तुम से होती है शुरू
और हर लम्हा तुम पर खत्म होता है।
आगाज़ हो तुम मेरे जीवन का
अब अंजाम का डर है कहां
कि होगा इस सफर अब क्या
संग तुम्हारे चलती रहूँगी
रास्ता भले ही हो कैसा भी कभी।

मेरी मुहब्बत इबादत से कम नही है
तुम्हारे बिना ये जीवन सनम नही है।

मेरे दिल मे बस रही हर धड़कन की कसम
कि हर पल बसता है चेहरा तुम्हारा ही
जब से देखा है तुमको
कुछ और दिखता नही है
हर शय मे दिखता है चेहरा बस तुम्हारा ही।
आगाज़ो-अंजाम की परवा है कि अब
तुम्हारे मुहब्बत मे डूबी ऐसी
कि अब उठने कि इच्छा ही नही है।

मेरी मुहब्बत इबादत से कम नही है।
तुम्हारे बिना ये जीवन सनम नही है।