गुरुवार, 25 अक्तूबर 2007

गाव के कुछ मजेदार किसे

बहुत दिन से हम कुछुओ नईखी लिखले, आज सागर भईया, बोलनी हा कि व्यंग लिख... त हम ई सोचनी हा कि ठीक बाती बा, हम्हु व्यन्गो के अजमाई लेतानी, का जाने की लिखे आईये जाऊँ,लेकिन ई बाती बा की, हमरा आजु ले ना बुझाईल की ई आखिर व्यंग होला का?काहे कि कौनु कौनु बतिया प जब कुल्हिये लोग हँसेला हमरा हँसिये ना आवेला, अरू कौनु कौनु बतिया प हमरा अतना हँसी आवेला अवरू केहुके आईबे ना करेला।अब ई बाती से हम बड़ी मुश्किल मे पड़ी गईल बानी कि आखिर ई व्यंग होला का? अब ई केहु समझाई दी ही तबे नु हमहूँ व्यंग लिखबी, तबले हम एगो मजेदार किसा बता देत बानी...का जाने कि इहे व्यंग होखे...

हाँ कुछु कहे के पहिले ईहो बता देत बानी की, ई किसा हम कबो अपना आँखिन नईखी देखले, बस सुनल सुनावल बतिया हटे-

हमरा बलिया जिला मे एगो गाँव बा, ओकर नाम ह मझऊँआ गाँव, ओजुगा के बारे मे किसा ह कि,
एक हाली, एगो भईस एगो कूँआ मे गिरी गईली, अब गाँव के लोग का कईल कि, घासी बटोर के, भईसिया के देखावे लागल...

चु चु... आ जा... अर्रे आ जा ना....

लेकिन भईसिया ना आईल... गऊआ के लोगवा के सामने ही भईसिया डूबी गईल... अरू गऊँवा के लोग कहे लागल कि, लागत रहल हा कि... बुझात रहल हा कि भईसिया के ढ़ेरे पियासी लागी गई रहल हा... एसे ऊ खाना खाये ना आके पानी पिये चली गईली हा..... ।


:D

अभी ई किसा निमन लागि तो फेरू ऐसन एगो किसा ले के आईबी...:)