हर रोज उदय होता है सुरज
और रोज ही अस्त होता है
सिर्फ क्षितिज पर नही
"ये" अपने दिल मे भी होता है
फर्क इतना है कि...
आसमान कि एक ही कहानी होती है
"जो" दिल मे है
उसकी रोज नयी निशानी होती है
रोज एक नये सपने को जीने के लिये
रोज एक नये सपने पर मरने के लिये
जिन्दगी के भाग-दौड मे बढने के लिये
अविचलित इस जगत मे उथल-पथल होता है
हां वहा क्षितिज पर
यहा दिल मे होता है...
4 टिप्पणियां:
बहुत खूब
यह क्षितिज के अलावा जहाँ कहीं भी होता है, उसमें मेरा दिल भी शामिल है।
वाह, बढ़िया है.
रोज एक नये सपने को जीने के लिये
रोज एक नये सपने पर मरने के लिये
जिन्दगी के भाग-दौड मे बढने के लिये
अविचलित इस जगत मे उथल-पथल होता है
हां वहा क्षितिज पर
यहा दिल मे होता है...
बहुत ही सुंदर एहसास है ...
सागर भईया, समीर लाल जी और रंजना जी आप सबको अच्छा वाला धन्यवाद :)
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