ओबामा को लेकर हम सब कल बहूत उत्साहित थे। सारे ब्रोकर्स कल बोल रहे थे, मैडम खरीद लिजीये कल बाजार पक्का बढ़ेगा। अच्छा जी, हम भी उत्साहित हूए, पर थोड़ा कम, सिर्फ ट्रेडिंग के लिहाज से खरीददारी मे लग गये, शाम तक बाजार ने कुछ अच्छा मोड़ लिया निचे से ४० प्वाईंट निफ्टी आगे आई तो आधी प्रोफिट घर आई.. और आधी ओबामा जी को सलामी देने के लिये रख ली... पर रात से मेरी सूरत लटक गयी क्योंकि मेरी खरीद F&O की थी, अक्सर मै १५ तारीख के बाद इसमे हाथ नही डालती। पर ओबामा की सलामी मे डाला हुआ हाथ... हाथ जलने का डर सताने लगा। अब हाथ जल जाये तो कोई सलामी कैसे इसलिये रात भर जोड़ती रही कि इतना % गिरेगा तो इतने का लॉस होगा। पापा जी ने धीरज रखवाया कि कोई बात नही आज जितना आया है उतना जायेगा.. जाओ सो जाओ... यकिन मानिये सपने मे भी यही देखा कि बाजार तो गया। सुबह जब बाजार खुला तो राहत की साँस ली... ऐसा कुछ नही था जो सोचा था... १% कि प्राफिट के साथ f&o section को खाली किया और उसके बाद ऑप्शन मे पुट खरीदे.. और अभी.. एकदम मजे ले रही हूँ, ओबामा जी को सलामी तो दे दी, पर अपने तरीके से :)
अब इतनी टेन्शन के बाद नारद जी की कहानी झेलिये...
नारदमुनि का नारदनामा और शेयर बाजार
नारद मुनि अपनी आदत के अनुसार यायावरी में स्वर्ग पहुँच गये। यहां पर नारद जी ने देवराज को दुखी पाया। देवराज इन्द्र को दुखी देख नारदमुनि पहली बार अपना तखल्लुस नारायण नारायण का उच्चारण भूल गए। इसे गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज कराया जा सकता है। प्रणाम देवर्षि, माफी चाहता हूँ पर नारद जी ने अपनी गलती स्वीकार की कि वे नारायण नारायण कहना भूल गए इसलिए उनका ध्यान न खिंच सका। देवों के देव इन्द्र ने बतलाया कि अब मृत्युलोक वासी इंसान उनकी पूजा-अर्चना से विमुख होता जा रहा है जिससे देवताओं का वर्चस्व मृत्युलोक में खतरे में पड़ गया है।
नारद मुनि अपनी त्रिकाल दृष्टि से देखकर बतलाते हैं कि आजकल मृत्युलोक निवासी शेयर बाजार में होने वाले उतार चढाव के कारण भयंकर रूप से परेशान हैं और यह परेशानी शेयर बाजार के न चढ़ने के कारण इतनी अधिक बढ़ गयी है कि वे सांस तक खींचना भूल जाते हैं, फिर भला फिर पूजा-अर्चना भला कैसे याद रह सकती है। इस पर देवराज और चिंता में डूब जाते हैं। इतना डूब जाते हैं कि नारदमुनि उनके सामने साकार हैं, वे यह भी भूल जाते हैं। तब नारद मुनि फिर एक बार नारायण नारायण गुंजायमान करते हैं। और एकाएक झटके से देवेन्द्र चिंता से बाहर आते हैं।
नारदमुनि देवराज को सलाह देते हैं कि "देवराज आप कुबेर को आदेश करें कि वे शेयर बाजार को मंदी के इस भीषण प्रकोप से बचायें, अपना धन शेयर बाजार में झोंक दें और किसी भी तरह से बाजार को मंदी की राह से निकाल कर तेजी की राह पर सरपट दौड़ायें और महाराज कुबेर के इस करतब की कथा मृत्युलोक में इंडिया टीवी, आईबीएन सेवन सरीखे चैनलों के माध्यम से प्रचारित करें, वे चैनल इसी प्रकार की कथाओं के प्रसारण में निपुण हैं और सिद्धता प्राप्त कर चुके हैं जिससे उनकी टी आर पी भी तेजी से बढ़ रही है।
कुबेर कथा में यह बतलाया जाये कि महाराज कुबेर द्वारा मृत्युलोक निवासियों का यह दुख नहीं देखा गया क्योंकि वैसे भी उस लोक के वासियों को तो अंतत: मर ही जाना है तो उनका बार बार मरना असहनीय हो रहा है, जिससे देवताओं के प्रति मृत्युलोक वासियों की आस्था फिर मजबूत होगी और वे फिर से देवताओं की इबादत में मशगूल हो जायेंगे। वैसे भी पृथ्वी पर भारत के सिवाय तो देवताओं की कोई ज्यादा पूछ है नहीं, वहां से भी खत्म हो गई तो फिर देवताओं को अमर होकर भी क्या लाभ मिलेगा इसलिए यह तात्कालिक उपाय किए जाने चाहियें।
वो एक उक्ति है न कि विनाशकाले विपरीत बुद्धि तो नारदमुनि की सलाह ने तुरंत असर किया और देवराज इन्द्र को यह युक्ति पसन्द आयी और उन्होने फौरन कुबेर को आदेश दे दिया।
उधर नारदमुनि नारायण नारायण अलापते हुए पाताल लोक में भी इस बाबत हंगामा मचा कर सलाह दे आये। इससे एक बार फिर स्पष्ट हो गया कि इंडिया टीवी, आई बी एन सेवन सरीखे चैनलों की संकल्पना नारदमुनि के किरदार से प्रेरित होकर पृथ्वीवासियों ने की होगी। इधर नारद जी ने दानवासुर को भी इस गुप्त तथ्य की जानकारी लगे हाथ दे दी कि मृत्युलोक वासियों में देवराज की टी आर पी कम हो रही जिसके मूल में गिरता और तेजी से गिरता शेयर बाजार है और यही वह अवसर है जब रावण के कुकर्मों द्वारा खत्म हुई टी आर पी को दोबारा से गेन करने के सुअवसर का लाभ उठाया जा सकता है तो दानव भी भारतीय शेयर बाजार में कुछ इस तरह कूद पड़े कि कहना पड़ा पांचों घी में और सिर कड़ाही के अंदर।
दानवासुर ने भी सोचा कि यही अच्छा समय है जब अपनी टी आर पी में बढ़ोतरी की जा सकती है और इंसानों के कमजोर से नाजुक दिल पर बाजार को संभाल कर कब्जा किया जा सकता है। एक बार मृत्युलोक निवासी हमारे झांसे में फंस गये तो फिर दानवों को स्वर्ग पर कब्जा करने में कोई अड़चन नहीं आयेगी।
दोनों ही पक्षों के फाइनेंसियल एक्सपर्ट्स अपनी अमरता का लाभ लेते हुए मृत्युलोक पर कूद पड़े क्योंकि अगर वे पारंपिक यातायात सेवा से आते तो देर हो जाती और उतर आयें और उन्होंने शुरू कर दिया अपना शेयर बाजार सुधारो अभियान। जहां तक उन्हें समझ आया उसके अनुसार अमेरिका में चल रही वित्तीय समस्या, क्रुड के रोजाना बढ़ते गिरते भाव, महंगाई का सुपरक्वीन बनते जाना, कम्पनियों का दिवालिया होना, मौसम की मार, करेन्सी मे उठाव-पटक इत्यादि ढेरों कारण हैं, जिससे शेयर बाजार रसातल में समाता जा रहा है।ं
दिव्य शक्तियों से सराबोर दोनों पक्षों ने सोचा कि क्यों न पहले अमेरिका के वित्तीय संकट को पहले हल किया जाये और वे बेचारे पैसों का इन्तजाम करते गये... करते गये... नतीजतन अमेरिका के पास लिक्वेडिटी ज्यादा हो गयी जिससे महंगाई बढ़ने लगी, महंगाई के चढ़ने का सीधा असर वॉल स्ट्रीट पर दीखने लगा जिससे देश दुनिया के शेयर बाजारों में हड़कम्प बच गया .... चारों तरफ त्राहि माम, त्राहि मामा, त्राहि बाप, त्राहि चाचा इत्यादि की चीखें सुनाई पड़ने लगीं जिससे देव-दानव अपने अपने खेमे मे परेशान हो गये... अब क्या होगा ? आखिर यह दांव उनके लिए उल्टा कैसे पड़ गया ...
एक बार फिर मृत्युलोक का सरकारी टूर बनाया गया और एक नई सोची समझी नीति के अनुसार इस बार क्रूड कि कीमतों को स्थिर किया पर इससे भी ज्यादा सकारात्मक असर दिखाई नहीं दिया सिर्फ चंद रिफाईनरीज शेयर्स की दशा ही सुधरी। पर उनके एक जगह टिकने के कारण बहुत मुश्किल हुई कयोंकि अब इन शेयरों के मूल्यों कोई खास उतार चढ़ाव न होने के कारण इन स्टाक्स पर शेयर बाजार के महारथी दलालों ने दांव लगाना ही छोड़ दिया जिससे यह आइडिया भी मजबूत पी ई के बावजूद कोई कमाल न दिखला सका।
दोनों खेमों ने अपने एक्सपर्ट एडवाइजर्स की सलाह पर कुछ चुनिंदा स्टाक्स बाजार कीमत पर खरीदना शुरू किया। इससे इंवेस्टर्स की तो लॉटरी लग गई अपने शेयरों के अच्छे भाव मिलने पर उन्होंने मुनाफा काटना शुरू कर दिया और शेयर बाजार का सेंसेक्स फिर लुढ़क लुढ़क पिछले से भी निचले स्तर पर आ गया।
आप बिल्कुल सही सोच रहें। इसके बाद न तो देवों और न दानवों के पास ही धन बचा कि वे शेयर बाजार में जमे रहते। नारदमुनि की सलाह पर अपनी टी आर पी बढ़ाने का सपना तो टूट ही गया। तो ऐसा है शेयर बाजार का सेंसेक्स कि इसका सही सेक्स किसी को भी पता नहीं चलता। जिसके कारण यह रोज रोज है नीचे गिरता।
और आपका यह सोचना भी अपनी जगह ठीक है कि दोनों पक्ष एक ही रणनीति पर क्यों चल रहे थे तो आपकी जानकारी के लिए यह बतला दूं कि दोनों के पास दिव्य शक्तियां होती हैं जिनसे वे विपक्षी के मन की सही सही जानकारी हासिल कर लेते हैं। पर उनकी ये शक्तियां नारदमुनि पर बेअसर रहती हैं और शेयर बाजार में घुसनेवाला तो विवेकशून्य हो जाता है इसलिए शेयर बाजार की लुटिया के बारे में कुछ सोच ही नहीं पाता है कि शेयर बाजार की लुटिया है, डूबा कर ही जान लेगी।
नारदमुनि की सलाह पर शेयर बाजार के चक्कर में देवराज और दानवासुर दोनों ने ही अपना सारा धन गँवा दिया और साथ ही चकनाचूर हुआ उनका प्रभुत्व कायम करने का सपना। तो जिस शेयर बाजार ने देव और दानवों तक की वॉट लगा दी तो मृत्युलोक निवासी आखिर किस खेत की मूली हैं, वे भी बिल्कुल मामूली हैं।
अब ये मत पुछियेगा कि ये सब मुझे कैसे पता चला... भाई वही रात मे जो सपने आये थे ना.. उन्ही सपनो मे नारद जी ने आके सुनाया.. तभी तो हमने उल्टी गंगा मे चैन की बंसी बजाई।
10 टिप्पणियां:
ओबामा ओबामा
बाजार बना गया
मामा।
ओ मामा
ओमामा ओमामा
बाजार को सुधारो।
बिना सुधारे
नाजाना नाजाना
माल लेआना
लेआना लेआना।
नारद का कमाल
बाजार के बदल
गए हैं सुर ताल।
वाह जी वाह... करे कोई और भरे कोई...
कुछ भी हो.. लेख बडा बोधिक है
नारद शेयर बाजार के पचड़े में न ही पड़ें। वीणा बिक जायेगी! :)
रचना बहुत मेहनत से लिखी गई है ,हकीकत रोचक ढंग से पेश की गई है
bahut sundar........
लगता है कि आप भी कहीं न कहीं इस शेयर बाजार की उठापटक के भुक्तभोगी हैं.
'जा तन लागी, सो जन जानी'
अगली बार सपने में नारदमुनि को चेता देना ये घोर कलयुग है। ज़रा सम्भल कर रहें। लेख पसन्द आया।
बढिया लेख ! बराक ओबामा के साक्षात दर्शन हुये !साभार !
सुश्री गरिमा जी, आपका व्यंग्य आलेख बहुत अच्छा लगा. साथ में आपने जो नए प्रतिमान और नए बिम्ब रचे हैं जैसे, ''त्राहि मामा. त्राहि चाचा, त्राहि बाप ...'' वे मन को गुदगुदाने वाले हैं. शेयर बाजार पर इतनी बारीक जानकारी रखने से ऐसा लगता है कि आप इस व्यवसाय में भी हैं. या हो सकता है कि यह मेरा वहम ही हो. बहरहाल आप इसी तरह व्यंग्य लिखती रहें. व्यंग्य लेखन की दुनिया में आपका नव-लेखन एक ताज़ा हवा का झोंका जैसा है जो मन को Fresh कर गया .
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