गुरुवार, 5 अप्रैल 2007

हाय रे मैं भुलक्कड

ओह कल ही तो पढा था याद नही आ रहा है.....

लगता है कही देखा है आपको.... बस ध्यान मे नही आ रहा है...

अर्रे... ये समान कहा रख दिया.....

इत्यादि आम समस्यायें बनती जा रहीं हैं... यही नही एक विकट समस्या है विद्यार्थियो के लिये... पुरे साल जो पढते हैं परीक्षा भवन मे याद रहेगा कि नही...

इस समस्या के विभिन्न कारण होते है... कारण फिर कभी बताऊँगी... मै सीधे-सीधे निवारण पर आ रही हूँ।

इस समस्या के निवारण के लिये मेरी टीम ने कई लोगो पर मेडिटेशन कोर्स की कई सुसंगत क्रियाओं और स्वयं मेडिटेशन कोर्स को प्रयोग मे लिया.. आखिरकार हम एक ऐसे सुसंगत कोर्स की तरफ बढे जो दिखता तो आम कोर्स की तरह है... पर काम बहूत ज्यादा करता है।

ये पैकेज दो भागो मे बँटा है-

सम्पुर्ण शिथीलीकरण और सम्पुर्ण कल्पनाशीलता

नियम ऐसा है-

1. किसी भी शांत जगह पर कुर्सी पर बैठ जायें, इस समय आपके हाथ पैर सीधे रखे, रीढ कि हड्डी सीधी हो पर अकडी ना हो, या आप आलथी पालथी लगा के भी बैठ सकते है, बैठने कि स्थिती वैसी ही होगी या सीधे बिस्तर पर अपने मन चाही स्थिती मे लेट सकते हैं (ध्यान रहे कि लेटने कि विधी आरामादायक तो है पर कई लोगो को नींद आ जाती है, अतः अगर आप अतिनिद्रा के आदी है तो लेटने के विधी आपके लिये नही है।)

2. अब आँखे हल्की सी बन्द रखे, आप 10 बार गहरी साँस ले, और प्रत्येक साँस के साथ 10 से 0 कि गिनती लेते जायें.... जैसे कि पहली साँस और उसके साथ 10 फिर दुसरी 9 ऐसे करके 0 तक आयें।

3. अब सामान्य साँस लें... और धीरे धीरे अपने पुरे शरीर को अन्दर से सिकोडने कि कोशिश करें, फिर ढीला छोड दें, ये प्रक्रिया 5 बार दुहराये।

4. अब आज्ञा चक्र पर ध्यान लगाने कि कोशिश करें, आज्ञा चक्र यानि दोनो भौहों के बीच की जगह

कम से 5 मिनट ऐसा करने के बाद ही आपको अपने शरीर मे गर्मी या कुछ अलग सा झंझनाहट महसुस होने लगेगा, अब इस एहसास को पुरे शरीर मे फैल जाने दे (आपकी कल्पना शक्ति जितनी मजबूत होगी, उतनी जल्द रिजल्ट मिलेगा)।

5. उसके बाद पॉवर ट्रिगर बनायें, इसके लिये बाये हाथ कि मुट्ठी बन्द कर लें... जिसमे अँगुठा पहले बन्द होगा उसके उपर चारो अँगुलियां आ जायेंगी।

6. 5 मिनट तक ऐसा करके, फिर गहरी साँस ले 5 बार और आँखे खोल लिजीये, उठ जायें।


जब भी आप कुछ पढ रहे हो तो ये पॉवर ट्रिगर लगाने के बाद पढना शूरु करें, वो बात आपको याद रहेगा। और हाँ ये कोई मैजिक नही है, आप जितना इसका अभ्यास करेंगे दिन पर दिन याददाश्त बढने लगेगी।

हाँ इसके साथ एक सबसे बडी परेशानी ये है कि यह स्वयँ मेडिटेशन कोर्स जैसा काम नही करता, इसके लिये सुसंगतता की जरूरी है... कोशिश है कि इसे जल्द से जल्द स्व संचालित मेडिटेशन का रूप दिया जाये।

इसके साथ भ्रामरी प्राणायाम का पुट भी दे दिया जाये तो सोने पर सुहागा का काम होता है...

भ्रामरी प्राणायाम-

प्राणायाम स्वस्थ वातावरण मे करें।
खाली पेट या खाने के 4 घंटे बाद करें।
बूखार और कब्ज की अवस्था मे ना करें।

किसी शांत अच्छे जगह पर आलथी पालथी लगाकर या बैक वाली कूर्सी पर सीधे बैठ जायें।
रीढ की हड्डी सीधी रखें पर तनी हूई ना हो।
अब दोनो हाथो को ऊपर हवा मे लायें, मूट्ठी कुछ इस प्रकार बन्द होगी कि तर्जनी अंगुली बाहर की तरफ रहेगी।
अब तर्जनी से दोनो कान अच्छी तरह बन्द करेंगे, गहरी स्वास लेकर हल्के बन्द होंठो से ॐ का नाद करेंगे।

5 बार से शूरू कर 11 बार तक कर सकते हैं।

ये दोनो अभ्यास याददाशत शक्ति को बढाने के लिये महत्वपूर्ण है। इनका रोज अभ्यास करना चाहिये।


जाते-जाते एक विनम्र निवेदन है कि- यह मेरा व्यव्साय का अंग है इसलिये कृपया घोडे को घास से दोस्ती करने के लिये ना कहें।ही... ही... ही...:D

5 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

बहना तेरा क्या कहना!

बहुत सुन्दर, समय निकालकर आपके चिट्ठे की सजावट करूँगा :)

आप इसी प्रकार गुरू-ज्ञान देती रहियेगा।

:)

Sagar Chand Nahar ने कहा…

एक बात बताईये आप इसे इतने दूर से सुसंगत कैसे करेंगी? और सुसंगत करने के बाद यह मेरे उपर असर कैसे करेगा? क्या यह संभव है?
इसका पूरा वर्णन समझाईये। वैसे ध्यान के कुछ प्रयोग हमने भी किये हैं जिसे कभी लिखेंगे चिट्ठों पर।
धन्यवाद अच्छी विधियाँ सिखाने के लिये, अब कुछ ऐसी विधियाँ भी सिखाइये जिसे सुसंगत करने का झंझट ना हो।

Udan Tashtari ने कहा…

बढ़िया तरीका बताया

सोमेश सक्सेना ने कहा…

अच्छा तरीका है। इसी तरह और भी जानकारियाँ देती रहें।

बेनामी ने कहा…

छ्प्पर चढिके गधा नाचे,ऊट विषुन पद गावे,
ठगिनी क्यो नयना झमकावे,
कितना अच्छा लिखा है,कोई कितना ही निरादर करे हमारी आवाज का लेकिन हम तो हम ही है,मौज मै है तो गायेन्गे,और मौज मे होन्गे तो नाचेन्गे,ध्यान लगाने के वाद भग्वान विष्नु का छीर सागर मे लेते हुए दिखाई देने का क्या मतलब है,मै जब भी ध्यान लगाने की कोसिस करता हू,अपने आप सामने आ जाते है,सजीव शरीर होता है,मगर आवाज नही होती है,अगर देवीजी शका दूर करने मै मदद करे तो नासमझ की पीडा दूर हो सकती है आप का कोटिश: धन्यवाद